हजरत नूह की कस्ती और कोव्वा


हजरत नूह की कस्ती और कोव्वा 🦅
एक बार गुफ्तगू के दौरान एक शक्श ने पूछा या अली अलैहिस्सलाम ये कोव्वा इतना डरा डरा सा और चौकन्ना क्यू रहता है
हजरत अली ने जवाब दिया कोव्वा उन परिंदो मै से है जिसे अल्लाह ने बे पनहा बहादुरी अता की थी मगर अफसोस जब तूफान नूह आया तो हर नेक मखलूक ने अल्लाह के नबी नूह के शफीने को नजात का जरिया बनाया यानी उनके कहने पर कस्ती में सवार हो गए जब ये तूफान थमा तो हर जानिब पानी ही पानी था और कस्ती पानी के सीने पर तैर रही थी जिस पर हर माखलोक का एक जोड़ा था
अल्लाह के नबी ने कोव्वे को। ये हुक्म दिया कि जाओ और जाकर देखो कि कहीं कोई खुश्की का टुकड़ा या ज़मीन नजर आए तो हमे आकर बताए ताकि हम कस्ती का रुख उसकी तरफ मोड़ दे कउव्वा वाहा से उड़ा और उड़ता गया खुश्की उसे नजर आई लेकिन वो वापस नहीं गया
बस इस पर हजरत नूह को जलाल आया और उन्होंने बारगाह। ए इलाही में ये फरियाद लगादी
या अल्लाह आज से आने वाली कयामत तक ये कोव्वा की नसल जब तक रूए ज़मीन पर रहे हमेशा डरी डरी और चोकती हुई रहे
#हजरत नूह की कस्ती और गधा 🐐
एक शक्श हजरत की बारगाह में आया और कहने लगा या अली इस गधे को अल्लाह ने इतना बेवकूफ क्यू बनाया है बस ये कहना था कि
इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया आए शक्श याद रखना अल्लाह ने किसी खलकत पे ज़ुल्म नहीं किया बस ये मखलूक ही है जो अपने आप पे ज़ुल्म करती है
तूफान नूह से पहले गधा बहुत ही चालक हुआ करता था जब तूफान ए नूह आया तो अल्लाह के नबी ने तमाम मखलूक के जोड़े को अपनी कस्ती में पनाह दी और उनकी गिजा को अपनी कस्ती में जमा किया
अल्लाह के नबी नूह ने सब जानवरो की गिजा रोज़ खाने के लिए एक मुकर्रर वक्त तक के लिए रखी थी
ताकि जब तक ये तूफान चले कोई जानवर भूक़ से। ना मरे लेकिन अफसोस गधा अपनी चालाकी और झूट के सबब दूसरे जानवरो की गिजा भी चोरी चोरी खा लिया करता था और सुभा जब हजरत नूह पूछते ये गिजा किसने खाई तो गधा झूट बुला करता था
बस अल्लाह के नबी की ज़ुबान से ये अल्फ़ाज़ अल्लाह की बारगाह में गए की। या अल्लाह जो जानवर ये गिजा चोरी करके खाता है तू उसे इतना बेवकूफ बना की फिर वो कभी चोरी ना कर सके
#हजरत नूह की कस्ती और कबूतर 🕊️
क्या आप जानते हो कबूतर के पैर लाल क्यू होते और उसके गले में सूनेरी हार नुमा धरी क्यू है
कस्ती ठेरने के बाद जब अल्लाह के नबी ने ज़मीन कि खबर लेने के लिए किसी को भेजने का इरादा क्या तो सबसे पहले मुर्गी ने अपना इरादा जाहिर क्या लेकिन हजरत नूह ने कोव्वे को भेजा जो वापस नहीं आया और मुरदा जानवर देख कर वहीं गिर गया
फिर हजरत ने कबूतर को भेजा तो कबूतर ज़मीन पर नहीं उतरा और एक जैतून की पत्ति अपनी चोंच में लेकर अगया हजरत नूह ने उससे कहा तुम ज़मीन पर नहीं उतरे जाओ और ज़मीन पर उतर के रूए ज़मीन की खबर लेकर आया
कबूतर फिर गया और मक्का मुकररमा की ज़मीन पर उतरा और देख लिया पानी मक्का की ज़मीन से खुस्क हो चुका है और शुरख रंग की मट्टी नमु दार हो गई है कबूतर जब ज़मीन पे उतरा तो सुर्ख रंग की मट्टी से उसके पैर रंगीन हो गए
और उसी हालत में हजरत नूह के पास वापस अगाया
इस पर हजरत नूह खुश हुए तो कबूतर ने अर्ज़ की या अल्लाह के नबी आप मेरे गले में एक सुर्ख रंग का तोक अता फरमा दे और मेरे पैरो को सुर्खी और सुकून से जीने का शरफ अता करे
अल्लाह के नबी हजरत नूह ने उस कबूतर के लिए वो सारी दुआ करदी जो उसकी मुराद थी और उसकी नसल में बरकत और सुकून की दुआ करी जिसे आज भी कबूतर सबसे सुकून के साथ रहने वाला पंछी बना और उसकी नसल भी बा बरकत है.

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